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* कम्प्रेस्ड बायोगैस मॉडल से प्रभावित हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी
* प्रधानमंत्री की वेस्ट टू वेल्थ परिकल्पना का सफल उदाहरण
* इससे किसानों की आय में होगी बढ़ोत्तरी, स्वच्छ भारत मिशन में मिला सकारात्मक योगदान
कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश ने देश में पहला स्थान प्राप्त किया है। इस उपलब्धि पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने योगी सरकार की प्रशंसा की। उन्होंने भरोसा जताया की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सीबीजी के साथ ही अतिरिक्त ऊर्जा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा। केन्द्रीय सड़क, परिवहन एवं राज्य मार्ग मंत्री नितिन गडकरी हाल ही में राजधानी दिल्ली के द्वारका में यशोभूमि कन्वेन्शन सेन्टर में आयोजित इन्डिया बायो एनर्जी एवं टेक एक्पो-2024 का शुभारंभ करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपिनेडा) के स्टाल का भी अवलोकन किया।
कम्प्रेस्ड बायोगैस भारत के लिए कई लाभ प्रदान करने की क्षमता रखती है। इसके उपयोग से अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ाने, स्थानीय स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने और आयातित कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस पर लोगों की निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी है। भारत में सीबीजी उत्पादन क्षमता में उत्तर प्रदेश का योगदान 24 प्रतिशत है। सीएसई की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, यदि केवल 20 प्रतिशत अतिरिक्त फीडस्टॉक का उपयोग किया जाए तो यूपी अकेले ही 5,000 सीबीजी परियोजनाओं को स्थापित कर सकता है, जिनकी परिकल्पना देशभर में सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन (SATAT) योजना के तहत की गई है।
सीबीजी: एक स्वच्छ और प्रभावी समाधान
सीबीजी विभिन्न प्रकार के कचरे और व्यर्थ पदार्थों जैसे नगरपालिका ठोस अपशिष्ट, कृषि अपशिष्ट, प्रेस-मड, और पशु अपशिष्ट से बनाई जाती है। यह बायोगैस का शुद्ध संस्करण है और बायो-सीएनजी के नाम से भी जाना जाता है। सीबीजी का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा मीथेन गैस से निर्मित होता है, जो जैविक अपशिष्ट या बायोमास के अवायवीय पाचन के माध्यम से तैयार होती है।
उत्तर प्रदेश की अग्रणी भूमिका
उत्तर प्रदेश ने अपनी महत्वाकांक्षी जैव ऊर्जा नीति के तहत CBG उत्पादन में महत्वपूर्ण प्रगति की है। राज्य ने CBG के लिए 750 करोड़ रुपये (2022-27) आवंटित किए हैं और सब्सिडी, पट्टे पर भूमि, और अन्य प्रोत्साहन भी प्रदान किए हैं। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में 15 CBG परियोजनाएं चालू हैं, जबकि 113 निर्माणाधीन हैं।
प्रधानमंत्री की वेस्ट टू वेल्थ परिकल्पना का सफल उदाहरण
CBG प्लांट प्रधानमंत्री की 'वेस्ट टू वेल्थ' परिकल्पना का जीता-जागता प्रमाण है। यह न केवल पर्यावरण को स्वच्छ बनाता है, बल्कि किसानों की आय बढ़ाता है, रोजगार के अवसर सृजित करता है, और निवेश के नए अवसर प्रदान करता है। भारत की अर्थव्यवस्था की तेजी से वृद्धि और कच्चे तेल की बढ़ती मांग को देखते हुए, बायोफ्यूल और CBG की ओर बढ़ना आवश्यक हो गया है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
इस परियोजना का लक्ष्य स्थानीय किसानों और किसान उत्पादक संगठनों से बायोमास खरीदकर उनकी आय बढ़ाना है। संयंत्र हजारों किसानों, ट्रांसपोर्टरों और कृषि मजदूरों को प्रत्यक्ष रूप से आजीविका के अवसर और अप्रत्यक्ष रूप से लाभ प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, किसानों को जैविक खाद की बिक्री का उद्देश्य मिट्टी की गुणवत्ता और फसल की पैदावार को बढ़ाना है, जिससे संधारणीय कृषि में योगदान मिलता है।
पर्यावरणीय प्रभाव
CBG, जो सीएनजी की तरह एक स्वच्छ और नवीकरणीय ईंधन है। इस परियोजना से प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल के आयात में कटौती करने, प्रदूषण को कम करने तथा जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों और स्वच्छ भारत मिशन में सकारात्मक योगदान देगा।
डबल इंजन सरकार के सशक्त प्रयासों के फलस्वरूप, उत्तर प्रदेश आज बायो गैस उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी बन चुका है। इस सफल पहल ने न केवल किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है, बल्कि बायो गैस प्लांट्स के माध्यम से युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी प्रदान किए हैं। इन प्रयासों ने प्रदेश में स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं और स्थानीय विकास को बढ़ावा दिया है।
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